Thursday, February 21, 2008

जिस समाज में तुम रहते हो

जिस समाज में तुम रह्ते हो
यदि तुम उसकी एक शक्ति हो
जैसे सरिता की अगणित लहरों में
कोई एक लहर हो
तो अच्छा है.

जिस समाज में तुम रहते हो
यदि तुम उसकी सदा सुनिश्चित
अनुपेक्षित आवश्यकता हो
जैसे किसी मशीन में लगे बहुत कल-पुर्जों में
कोई भी कल-पुर्जा हो
तो अच्छा है.

जिस समाज में तुम रह्ते हो
यदि उसकी करुणा ही करुणा
तुम को यह जीवन देती है
जैसे दुर्निवार निर्धनता
बिल्कुल टूटा-फूटा बर्तन घर किसान के रक्खे रहता
तो यह जीवन की भाषा में
तिरस्कार से पूर्ण मरण है.

जिस समाज में तुम रहते हो
यदि तुम उसकी एक शक्ति हो
उसकी ललकारों में से ललकार एक हो
उसकी अमित भुजाओं में दो भुजा तुम्हारी
चरणों में दो चरण तुम्हारे
आँखों में दो आँख तुम्हारी
तो निश्चय समाज-जीवन के तुम प्रतीक हो
निश्चय ही जीवन , चिर जीवन !
'त्रिलोचन'

53 comments:

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

तत्सम प्रधान शब्दावली में बहुत दिनों के बाद कोई अच्छी रचना पढने को मिली, बधाई।
आपको एक सुझाव देना चाहूंगा, बराए मेहरबानी आप कमेंट बाक्स से वर्ण वेरीफिकेशन हटा दें, यह खीझ उत्पन्न करता है।

अबरार अहमद said...

bahut pyara. ek achchi rachna.

pallavi trivedi said...

sundar rachna...

pooja said...

bahut badhiya rachna hai.

राकेश जैन said...

sundar kavita!!

Asha Joglekar said...

कमाल की रचना, सोचने को विवश करती हुई ।

admin said...

मन के तारों को झंकृत कर गयी यह रचना। बधाई।

Ila's world, in and out said...

बहुत अच्छी कविता.

ilesh said...

जिस समाज में तुम रहते हो
यदि तुम उसकी एक शक्ति हो
उसकी ललकारों में से ललकार एक हो
उसकी अमित भुजाओं में दो भुजा तुम्हारी
चरणों में दो चरण तुम्हारे
आँखों में दो आँख तुम्हारी
तो निश्चय समाज-जीवन के तुम प्रतीक हो
निश्चय ही जीवन , चिर जीवन !
'त्रिलोचन'


sundar rachana...

shelley said...

hindi sagar aaj pahli bar dekha. aapka pryas uttam hai.purani kavitayen padh kar man prasan ho gaya

Unknown said...

So good......

मेनका said...

Bahut hi sundar aour achhi kavita hai.baaki ki kavitaayein bhi bahut hi achhi hai.aise hi likhte rahiye.

Demo Blog said...

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की ढेरों शुभकामनाएं |

हिन्दी भाषा में उपलब्ध सूचनाओं व सेवाओं की जानकारी :


हिन्दी इन्टरनेट


एक बार अवश्य जांचें |

Sumit Pratap Singh said...

सादर ब्लॉगस्ते!

कृपया निमंत्रण स्वीकारें व अपुन के ब्लॉग सुमित के तडके (गद्य) पर पधारें। "एक पत्र आतंकवादियों के नाम" आपकी अमूल्य टिप्पणी हेतु प्रतीक्षारत है।

Anonymous said...

जिस समाज में तुम रहते हो
यदि तुम उसकी एक शक्ति हो
उसकी ललकारों में से ललकार एक हो
उसकी अमित भुजाओं में दो भुजा तुम्हारी
चरणों में दो चरण तुम्हारे
आँखों में दो आँख तुम्हारी
तो निश्चय समाज-जीवन के तुम प्रतीक हो

Bahuuuuuuuuuuut Achchha.
Marmshparshi racha ke liye badhai

sandeep sharma said...

videsh me rahkar bhi apke man me desh jivit hai...
badhai...

sandeep

BrijmohanShrivastava said...

इतनी अच्छे प्रेरणा प्रद रचना ,किंतु इसके बाद कोई कविता पेस्ट क्यों नहीं हुई आश्चर्य है

Anonymous said...

Hi, my name is Gabriel I am Brazilian, I will ask you what you can seem very strange, but it does not cost try. and I need a favor to make a tattoo with the following leasing है राम but wanted a font most beautiful you could help me?
my email is gabriel_malkaviano@hotmail.com
thank you very much

Anonymous said...

हाय, मेरा नाम Gabriel मैं ब्राजील हूँ है, मैं क्या बहुत अजीब लग सकता है उससे पूछना है, लेकिन यह कोशिश लागत नहीं है. और मैं निम्नलिखित मंत्र है राम के साथ एक टटू के लिए एक एहसान करने की ज़रूरत है लेकिन एक स्रोत से तुम मेरी मदद कर सकता सुंदर चाहते थे?
मेरा ईमेल gabriel_malkaviano@hotmail.com है
बहुत बहुत धन्यवाद

अगर तुम मुझे गूगल की अनुवादक में संदेश अनुवाद अंग्रेज़ी बोलने के रूप में मुझे नहीं पता

पूनम श्रीवास्तव said...

Respected minakshiji,
Apke blog par itnee sunder rachnaen padh kar bahut achha laga.
asha hai phvishya men bhee aisee kavitaen padhne ko milengee.Meree shubh kamnaen.Ap mere blog par bhee sadar amantrit han.
Poonam

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

Minakshee ji,
Ap apne blog ke madhyam se hindi ke chuninda kaviyon kee rachnaen logon tak pahuncha kar ek bahut hee badhiya kam kar rahee hain.Is samaya hindi men likhna shuru kar rahe naye lekhakon ke liye apka blog ek achhchhe evam samriddha pustakalaya ka kam karega.Meree hardic shubh kamnaen.
Bachchon kee behtaree ke liye main bhee ek chotee se koshish apne blog par kar raha hoon.Ap mere blog par amantrit hain.
Hemant Kumar

Poonam Agrawal said...

Atyant prabhavshali rachna .. badhai..

Amit Kumar Yadav said...

Sundar Abhivyakti...Badhai !!

Bahadur Patel said...

bahut achchhi kavita hai.

Science Bloggers Association said...

त्रिलोचन जी की कतिवा से रूबरू कराने के लिए आभार।

-----------
तस्‍लीम
साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

kavi kulwant said...

bahut khoob

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

त्रिलोचन' जी की कविता पढ़वाने के लिए़
आभार।

mark rai said...

samaaj ..............ek awaaj hai..
एक श्वेत श्याम सपना । जिंदगी के भाग दौड़ से बहुत दूर । जीवन के अन्तिम छोर पर । रंगीन का निशान तक नही । उस श्वेत श्याम ने मेरी जिंदगी बदल दी । रंगीन सपने ....अब अच्छे नही लगते । सादगी ही ठीक है ।

Divya Narmada said...

सशक्त रचना.

Vinay said...

सच बहुत सुन्दर रचना है

---
चाँद, बादल और शामगुलाबी कोंपलें

Rajat Narula said...

बहुत सधे हुए शब्दों में अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं आपने अपनी रचना में....आप बहुत अच्छा लिखती हैं...निसंदेह...

Science Bloggers Association said...

Kripya iski bhi khabar len.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

अनुपम अग्रवाल said...

अच्छी रचना के पढ़वाने के लिये आभार

योगेन्द्र मौदगिल said...

achhi रचना के लिये साधुवाद

Divya Narmada said...

श्रेष्ठ रचना चयन हेतु साधुवाद...एक निवेदन...अच्छा आज भी लिखा जा रहा है. संभव हो तो कभी-कभी सामयिक रचनाएँ भी लें तो पाठक को कल और आज में सेतु बनाने में सहजता होगी.

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

रचना के लिये बहुत बहुत धन्यवाद.आप अच्छा लिखती है और आशा है हमें और रचनायें मिलेंगी....

Dev said...

आप सबको पिता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ...
DevPalmistry

vijay kumar sappatti said...

meenakshi ji

namaskar

itni acchi poem main pahle kyon nahi padh paaya is baat ka dukh hai ji ...

bahut hi acchi rachna hai ..

Aabhar

Vijay

Pls read my new poem : man ki khidki
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/07/window-of-my-heart.html

Pushpa Bajaj said...

मीनाक्षी जी,

दर्द है, आपकी कलम में !

लेकिन यह दर्द क्या हम मनुष्यों में ही है ? जिसे हम ईश्वरीय सत्ता कहते है क्या वो खामोश बैठी है ?

कभी फुर्सत हो तो आइये हमारी भी साईट पर.http://thakurmere.blogspot.com/

Dr.R.Ramkumar said...

जिस समाज में तुम रह्ते हो
यदि तुम उसकी एक शक्ति हो
जैसे सरिता की अगणित लहरों में
कोई एक लहर हो
तो अच्छा है.


त्रिलोचन की रचनाएं सामाजिक चिंता से उत्पन्न होती है और बिना लाग लपेट के अपने लक्ष्य तक जाती है।

आपने अपने ब्लाग में ऐसी ही एक रचना को प्रस्तुत कर अपने सरोकार को अभिव्यक्ति दी है।

मीनाक्षी जी!
जिस पानी(समाज) में ‘मछली’ रहती है उसकी हर चीज़ को साफ देखती है।
बधाई

Dr.R.Ramkumar said...

जिस समाज में तुम रह्ते हो
यदि तुम उसकी एक शक्ति हो
जैसे सरिता की अगणित लहरों में
कोई एक लहर हो
तो अच्छा है.


त्रिलोचन की रचनाएं सामाजिक चिंता से उत्पन्न होती है और बिना लाग लपेट के अपने लक्ष्य तक जाती है।

आपने अपने ब्लाग में ऐसी ही एक रचना को प्रस्तुत कर अपने सरोकार को अभिव्यक्ति दी है।

मीनाक्षी जी!
जिस पानी(समाज) में ‘मछली’ रहती है उसकी हर चीज़ को साफ देखती है।
बधाई

PN Subramanian said...

इतनी सुन्दर रचना. हम पूर्वक में ही क्यों देख नहीं पाए. आभार.

Randhir Singh Suman said...

nice

D.P. Mishra said...

very nice

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

मीनाक्षी जी, इस ब्लॉग जो जिलाए रखें।
--------
पॉल बाबा की जादुई शक्ति के राज़।
सावधान, आपकी प्रोफाइल आपके कमेंट्स खा रही है।

ZEAL said...

.

जिस समाज में तुम रह्ते हो
यदि उसकी करुणा ही करुणा
तुम को यह जीवन देती है
जैसे दुर्निवार निर्धनता
बिल्कुल टूटा-फूटा बर्तन घर किसान के रक्खे रहता
तो यह जीवन की भाषा में
तिरस्कार से पूर्ण मरण है.

Brilliant creation !...Beautifully revealing the subtle aspects of life.

Regards,
Divya.

.

rajesh singh kshatri said...

bahut khub...

Mohinder56 said...

शब्दों का चयन रचना व कथन को सशक्ता प्रदान कर रहा है. प्रभावी रचना के लिये बधाई

Sawai Singh Rajpurohit said...

आज मंगलवार 8 मार्च 2011 के
महत्वपूर्ण दिन "अन्त रार्ष्ट्रीय महिला दिवस" के मोके पर देश व दुनिया की समस्त महिला ब्लोगर्स को "सुगना फाऊंडेशन जोधपुर "और "आज का आगरा" की ओर हार्दिक शुभकामनाएँ.. आपका आपना

Patali-The-Village said...

आप की कविता बहुत अच्छी लगी| धन्यवाद|

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
Unknown said...

भावार्थ और प्रसंग

Unknown said...
This comment has been removed by a blog administrator.