मालवा की मिट्टी में जन्में, रचे और बसे नरहरि पटेल मालवा की धड़कन माने जाते हैं...उनकी एक पुस्तक 'जाने क्या मैंने कही' में मानवीय मूल्यों पर आधारित छोटे छोटे निबन्ध हैं जिन्हें पढ़ना और गुढ़ना अच्छा लगता है...उन्हीं की एक कविता पुस्तक के अंतिम पृष्ठ पर पढ़ी और चाहा कि आप सबसे भी बाँटा जाए...आजकल उनके कुछ अमूल्य अनुभव यादों के रूप में रेडियोनामा पर भी पढ़े जा सकते हैं.
जी चाहता है
कि जीवन का हर क्षण जी लूँ
और वह भी ऐसा जियूँ
कि जीवन का हर क्षण
सार्थक हो जाए
मुझसे किसी की
कोई शिकायत न रह जाए....
जी चाहता है
कि जीवन का हर घूँट पी लूँ
और वह भी ऐसा पियूँ
कि हर घूँट ख़ुद तृप्त हो जाए
बस सारी तिश्नगी मिट जाए...
जी चाहता है
कि जीवन की फटी चादर सी लूँ
और वह भी ऐसी सियूँ
कि उसका तार-तार चमके
उसकी हर किनार दमके
उसके बूटों में ख़ुशबू सी भर जाए
पता नहीं, यह चादर किसी के काम आ जाए...
"नरहरि पटेल"
जी चाहता है
कि जीवन का हर क्षण जी लूँ
और वह भी ऐसा जियूँ
कि जीवन का हर क्षण
सार्थक हो जाए
मुझसे किसी की
कोई शिकायत न रह जाए....
जी चाहता है
कि जीवन का हर घूँट पी लूँ
और वह भी ऐसा पियूँ
कि हर घूँट ख़ुद तृप्त हो जाए
बस सारी तिश्नगी मिट जाए...
जी चाहता है
कि जीवन की फटी चादर सी लूँ
और वह भी ऐसी सियूँ
कि उसका तार-तार चमके
उसकी हर किनार दमके
उसके बूटों में ख़ुशबू सी भर जाए
पता नहीं, यह चादर किसी के काम आ जाए...
"नरहरि पटेल"
17 comments:
सबका जी यही चाहता है। सार्थक लेखन को हम सब तक पहूंचाने का सुक्रीया।
कि जीवन की फटी चादर सी लूँ
और वह भी ऐसी सियूँ
कि उसका तार-तार चमके
उसकी हर किनार दमके
उसके बूटों में ख़ुशबू सी भर जाए
पता नहीं, यह चादर किसी के काम आ जाए...
बहुत सुंदर ।
नरहरी पटेल जी की इस कविता को हम तक पहुँचाने का आभार ।
viprit paristhiti ko anukool banaane kee sonch se purn kavita. sunder
बहुत बहुत शुक्रिया इस शानदार लेखन के लिये,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत हूई अच्छी पंक्तिया आपके सौजन्य से पुनः नजरो के सामने आ गयी बहुत बहुत धन्यवाद
wah कुछ कहना इस कविता के बाद बेकार है...
shukriya itni sunder kavita padhwane ke liye....
Great creation ! Loving the sweet desires of poet .
बहुत उम्दा रचना पढ़वाने के लिए आभार....
Narhari Patel je se parichay aur unki umda rachna prastuti ke liye aabhar!
मीनाक्षी जी बहुत सुन्दर कोमल भाव सुन्दर विचार मूल भाव अति सुन्दर ..
कि जीवन की फटी चादर सी लूँ
और वह भी ऐसी सियूँ
कि उसका तार-तार चमके
उसकी हर किनार दमके
उसके बूटों में ख़ुशबू सी भर जाए
मेरा भी मन चाहता है की इन खुबसूरत पंक्तिओं को चुरा लूं -बधाई हो जी भर जी लीजिये
आभार आपका
भ्रमर ५
बहुत सुन्दर सारगर्भित रचना , सुन्दर भावाभिव्यक्ति , आभार
रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.
नरहरी पटेल जी की यह सार्थक कविता बहुत अच्छी है.....
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
ek pal sukun ka la le, jee kee chahat puree ho jaygee. sunder kavita
नरहरी जी की बहुत सुन्दर भाव युक्त रचना यहाँ प्रस्तुतकर हमें इसका आनंद प्रदान करने हेतु हार्दिक धन्यवाद .
BHARTIY NARI
अच्छा लगता है जानकर जब अपनी पसन्द को मित्रों के साथ बाँटा जाए और वह भी उन्हें पसन्द आए.... आप सबका आभार...
Nice poem :)
really gonna read it in front of my class :)
kin9990@gmail.com
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